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होता है शब-ओ-रोज़<ref>रात और दिन</ref> तमाशा, मेरे आगे
इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां<ref>सुलेमान नामक अवतार का राजसिंहासन</ref> मेरे नज़दीक
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा<ref>ईसा का चमत्कार जिनकी फूँक से मुर्दे जीवित हो उठते थे</ref>, मेरे आगे
नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है, मैं रश्क से गुज़रा
क्योंकर कहूँ, लो नाम ना उनका मेरे आगे
ईमाँ<ref>धर्म</ref> मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र<ref>अधर्म</ref>
काबा मेरे पीछे है, कलीसा<ref>गिरजाघर</ref> मेरे आगे