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"बहुत सही ग़म-ए-गेती शराब कम क्या है / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
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02:20, 14 मार्च 2010 के समय का अवतरण

बहुत सही ग़मे-गेती<ref>दुनिया का दुःख</ref>, शराब कम क्या है?
ग़ुलामे-साक़ी-ए-कौसर<ref>खुदा का दास</ref> हूँ, मुझको ग़म क्या है?

तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश<ref>तोर-तरीका</ref>, जानते हैं हम क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़<ref>कृपा</ref>, तो सितम<ref>बुराई</ref> क्या है?

कटे तो शब कहें, काटे तो सांप कहलावे
कोई बताओ, कि वो ज़ुल्फ़े-ख़म-ब-ख़म<ref>बालों का उलझाव</ref> क्या है?

न हश्रो-नश्र<ref>क़यामत और उसका दंड</ref> का क़ायल न केशो-मिल्लत<ref>धर्म और क़ौम</ref> का
ख़ुदा के वास्ते, ऐसे की फिर क़सम क्या है?

सुख़न<ref>शायरी</ref> में ख़ामए<ref>क़लम</ref> ग़ालिब की आतश-अफ़शानी<ref>आग बरसाना</ref>
यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है?

शब्दार्थ
<references/>