लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ग़ालिब]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:गा़लिब]]<poem>इब्ने-मरियम <ref>मरियम के बेटे यानि ईसा </ref> हुआ करे कोई मेरे दुख की दवा करे कोई
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*शरअ-ओ-आईन<ref>पवित्र और धर्मनिरपेक्ष कानून</ref> पर मदार<ref>आधारित</ref> सही ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई चाल, जैसे कड़ी कमाँ का तीर दिल में ऐसे के जा<brref>जगह</ref>मेरे दुख की दवा करे कोई <br><br
शर'अ-ओ-आईन बात पर मदार सही <br>वाँ ज़बान कटती हैऐसे क़ातिल का क्या वो कहें और सुना करे कोई <br><br>
चाल जैसे कड़ी कमाँ का तीर <br>दिल बक रहा हूँ जुनूँ में ऐसे के जा क्या-क्या कुछकुछ न समझे ख़ुदा करे कोई <br><br>
बात पर वाँ ज़ुबान कटती है <br>न सुनो गर बुरा कहे कोईवो कहें और सुना न कहो गर बुरा करे कोई <br><br>
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ <br>रोक लो, गर ग़लत चले कोईकुछ न समझे ख़ुदा बख़्श दो गर ख़ता करे कोई <br><br>
न सुनो गर बुरा कहे कोई कौन है जो नहीं है हाजतमंद<brref>ज़रूरतमंद</ref>न कहो गर बुरा करे कोई किसकी हाजत<brref>ज़रूरत<br/ref>रवा<ref>पूरी</ref> करे कोई
रोक लो गर ग़लत चले कोई क्या किया ख़िज्र<brref>ख़िज्र सिकंदर का नौकर था और उसने सिकंदर को धोखा दिया था</ref> ने सिकंदर से बख़्श दो गर ग़लत करे कोई अब किसे रहनुमा<brref>राह बताने वाला,पथ-प्रदर्शक<br/ref>करे कोई
कौन है जो नहीं है हाजतमंद जब तवक़्क़ो<brref>किसकी हाजत रवा करे कोई उम्मीद<br/ref><br> क्या किया ख़िज्र ने सिकंदर से <br>अब किसे रहनुमा करे कोई <br><br> जब तवक़्क़ो ही उठ गयी "ग़ालिब" <br>क्यों किसी का गिला करे कोई <br><br/poem>{{KKMeaning}}