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"न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम जराहते दिल का / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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02:25, 14 मार्च 2010 के समय का अवतरण

न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम<ref>दवाई का सर्जन</ref> जराहते-दिल<ref>दिल के ज़ख़्म</ref> का
कि उस में रेज़ा-ए-अल्मास<ref>हीरे का बुरादा</ref> जुज़्व-ए-आ़ज़म<ref>खास भाग</ref> है

बहुत दिनों में तग़ाफ़ुल<ref>बे-परवाही</ref> ने तेरे पैदा की
वह इक निगह<ref>इस संदर्भ में- ज़रा सा देखना</ref> कि ब ज़ाहिर<ref>साफ तौर पर</ref> निगाह<ref>इस संदर्भ में- ध्यान से देखना</ref> से कम है

शब्दार्थ
<references/>