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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[= ग़ालिब]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:ग़ालिब]]<poem>नुक्ताचीं<ref>गलतीयां निकालने वाली</ref> है, ग़म-ए-दिल उस को सुनाये न बने क्या बने बात, जहाँ बात बनाये न बने
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*मैं बुलाता तो हूँ उस को, मगर ऐ जज़्बा-ए-दिलउस पे बन जाये कुछ ऐसी, कि बिन आये न बने
नुक्ताचीं खेल समझा है ग़म-ए-दिल उस को सुनाये , कहीं छोड़ बने <br>दे भूल न जाये क्या बने बात जहाँ बात बनाये काश! यूँ भी हो कि बिन मेरे सताये न बने <br><br>
मैं बुलाता तो हूँ उस ग़ैर फिरता है, लिए यों तेरे ख़त को मगर अए जज़्बा-ए-दिल <br>कि अगर उस पे बन जाये कुछ ऐसी कोई पूछे कि बिन आये ये क्या है, तो छुपाये न बने <br><br>
खेल समझा है कहीं छोड़ न दे, भूल न जाये इस नज़ाकत<brref>कोमल स्वभाव</ref> का बुरा हो, वो भले हैं तो क्या काश यूँ भी हो कि बिन मेरे सताये हाथ आयें, तो उन्हें हाथ लगाये न बने <br><br>
ग़ैर फिरता है लिए यूँ तेरे ख़त को कह सके कौन कि अगर ये जल्वागरी<brref>वैभव</ref> किसकी है कोई पूछे पर्दा छोड़ा है वो उसने कि ये क्या है तो छुपाये उठाये न बने <br><br>
इस नज़ाकत का बुरा हो वो भले हैं तो क्या <br>मौत की राह न देखूँ, कि बिन आये न रहे हाथ आयें तुम को चाहूँ कि न आओ, तो उन्हें हाथ लगाये बुलाये न बने <br><br>
कह सके कौन कि ये जल्वागरी किसकी बोझ वो सर पे गिरा है <br>कि उठाये न उठे पर्दा छोड़ा है काम वो उसने आन पड़ा है कि उठाये बनाये न बने <br><br>
मौत की राह न देखूँ कि बिन आये न रहे <br>तुम को चाहूँ कि न आओ तो बुलाये न बने <br><br> बोझ वो सर पे गिरा है कि उठाये न उठे <br>काम वो आन पड़ा है कि बनाये न बने <br><br> इश्क़ पर ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश "ग़ालिब" <br>कि लगाये न लगे और बुझाये न बने <br><br/poem>{{KKMeaning}}
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