भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वार्ता:पंजाबी लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
'''[[पंजाबी लोकगीत]]
 
'''[[पंजाबी लोकगीत]]
  
[[तू सच सच आख वे जोगी,
+
* [[तू सच सच आख वे जोगी,
  
 
सजन मिलसी के न मिलसी.,  
 
सजन मिलसी के न मिलसी.,  

12:13, 14 मार्च 2010 का अवतरण

पंजाबी लोकगीत

  • [[तू सच सच आख वे जोगी,

सजन मिलसी के न मिलसी.,

मिलन होसी के न होसी,


न करिये माण वतनां दा,

असीं हाँ लाल परदेसी,

तू सच सच आख वे जोगी,

सजन मिलसी के न मिलसी,

मिलन होसी के न होसी,


अधी राती दुपट्टा रंगया,

न माही आया न किली टंगया,

तू सच सच आख वे जोगी,

सजन मिलसी के न मिलसी,

मिलन होसी के न होसी,


अधी राती पकन केले,

विच्छ्डयाँ नूं रब आप सेले,

तू सच सच आख वे जोगी,

सजन मिलसी के न मिलसी,

मिलन होसी के न होसी,


अधी राती पकन आडू

वगण नदियाँ तरण तारु

तू सच सच आख वे जोगी

सजन मिलसी के न मिलसी

मिलन होसी के न होसी,


अधी राती चमकण तारे

जुदाई वाले तीर सानुं किस मारे

न तुसां मारे न असां मारे

मारण वाला प्रभु आप जाणे

तू सच सच आख वे जोगी

सजन मिलसी के न मिलसी

मिलन होसी के न होसी,