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20:05, 18 मार्च 2010 के समय का अवतरण

है आरमीदगी में निकोहिश<ref>बदनामी</ref> बजा<ref>उपयुक्त लगना</ref> मुझे
सुबह-ए-वतन है ख़न्दा-ए-दन्दां-नुमा<ref>दाँत दिखाती हुई मुस्कराहट</ref> मुझे

ढूंढे है उस मुग़न्नी-ए-आतिश-नफ़स<ref>आग बरसाती आवाज वाला गायक</ref> को जी
जिस की सदा<ref>आवाज</ref> हो जल्वा-ए-बर्क़-ए-फ़ना<ref>अंत समय लाने वाली बिजली की चमक</ref> मुझे

मस्ताना<ref>शराब के नशे में</ref>, तय करूँ हूँ रह-ए-वादी-ए-ख़याल<ref>सोच की वादी</ref>
ता<ref>ताकि</ref> बाज़-गश्त से<ref>वापस लौटना</ref> न रहे मुद्दआ़ मुझे

करता है बसकि<ref>इस हद तक</ref>, बाग़ में तू बे-हिजाबियां<ref>खुद को प्रकट करना</ref>
आने लगी है नकहत-ए-गुल<ref>गुलाब की खुशबू</ref> से हया मुझे

खुलता किसी पे क्यों मेरे दिल का मुआ़मला
शे`रों के इन्तख़ाब<ref>चयन</ref> ने रुसवा किया मुझे

शब्दार्थ
<references/>