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"जिगरवाला / चले हैं बाराती बन ठन के" के अवतरणों में अंतर
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05:43, 19 मार्च 2010 के समय का अवतरण
रचनाकार: ?? |
चलें हैं बाराती बन ठन के
खुशियों से घुंघरू भी खनके
लेके जायेंगे दुल्हन, पूरा करेंगे वचन
डर डर के नहीं रे, तन तन के
अरे देखो देखो यार मेरा दूल्हा बना है
सर पे उमंगों का सेहरा बंधा है
मस्तियों का जाने कैसा जादू चला है
बिन पिए देखो नशा चढ़ने लगा है
होके घोड़ी पे सवार, बड़ा जचता है यार
सब नाचते हैं यार, बचपन के
चलें हैं बाराती बन ठन के...
बड़े ही जिगरवाले यार के बाराती
जो भी हैं कंवारे वही ढूँढ लेंगे साथी
लड़की की सारी ही सहेलियां हैं प्यारी
उन में से चुन लेना तुम बारी बारी
यही गाये शहनाई, खूब जोड़ी ये बनाई
उस रब ने गुलाब, चुन चुन के
चले हैं बाराती बन ठन के...