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"जागृति / हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के" के अवतरणों में अंतर

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पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
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सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के
  
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के<br />
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हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
पासे सभी उलट गए दुश्मन कि चाल के<br />
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तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के<br />
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ...
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के<br />
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देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा  
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इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के<br />
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रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के<br />
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के<br />
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हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के<br />
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दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता  
देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा <br />
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मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता  
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा<br />
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भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के<br />
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के<br />
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हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
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एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता <br />
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बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के<br />
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तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के<br />
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
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हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनियां <br />
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आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो  
तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के<br />
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सपनों के हिंडोलों मे मगन हो के न झुलो
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के<br />
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अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
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उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो <br />
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तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के  
सपनों के हिंडोलों मे मगन हो के न झुलो<br />
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के  
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो<br />
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हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
उठो छलांग मार के आकाश को छु लो<br />
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तुम गाड़ दो गगन मे तिरंगा उछाल के <br />
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इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के <br />
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20:25, 19 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: प्रदीप                 

संगीतकार : हेमंत

गायक : रफी

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के

हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ...

देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो
सपनों के हिंडोलों मे मगन हो के न झुलो
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...