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(नया पृष्ठ: <poem> सुन् लो सुनाता हूँ तुमको काहानी रूठो ना हमसे ओ गुडियों कि रानी …)
 
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सुन् लो सुनाता हूँ तुमको काहानी
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सुन लो सुनाता हूँ तुमको कहानी
रूठो ना हमसे ओ गुडियों कि रानी
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रूठो ना हमसे ओ गुड़ियों की रानी
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रे मामा रे मामा रे...
  
रे मम्मा रे मम्मा रे
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हम तो गए बाज़ार में लेने को आलू
रे मम्मा रे मम्मा रे
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आलू वालू कुछ न मिला पीछे पड़ा भालू
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रे मामा रे मामा रे...
  
हम् तो गये बाजार् मे लेने को आलु
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हम तो गए बाज़ार में लेने को लट्टू
आलु वालु कुछ् ना मिला पीछे पडा भालू,
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लट्टू वट्टू कुछ न मिला पीछे पड़ा टट्टू
रे मम्मा ...
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रे मामा रे मामा रे...
  
हम् तो गये बाजार् मे लेने को लट्टू
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हम तो गए बाज़ार में लेने को रोटी
लट्टू वट्टू कुछ् ना मिला पीछे पडा टट्टू,
+
रोटी वोटी कुछ न मिली पीछे पड़ी मोटी
रे मम्मा ...
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रे मामा रे मामा रे...
 
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हम् तो गये बाजार् मे लेने को रोटी
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रोटी वोटी कुछ् ना मिलि पीछे पडि मोटी,
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रे मम्मा ...
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03:54, 20 मार्च 2010 का अवतरण

रचनाकार: हसरत जयपुरी                 

सुन लो सुनाता हूँ तुमको कहानी
रूठो ना हमसे ओ गुड़ियों की रानी
रे मामा रे मामा रे...

हम तो गए बाज़ार में लेने को आलू
आलू वालू कुछ न मिला पीछे पड़ा भालू
रे मामा रे मामा रे...

हम तो गए बाज़ार में लेने को लट्टू
लट्टू वट्टू कुछ न मिला पीछे पड़ा टट्टू
रे मामा रे मामा रे...

हम तो गए बाज़ार में लेने को रोटी
रोटी वोटी कुछ न मिली पीछे पड़ी मोटी
रे मामा रे मामा रे...