"मि. नटवरलाल / मेरे पास आओ मेरे दोस्तो" के अवतरणों में अंतर
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+ | मुझे याद है वो थी मंगल की रात | ||
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− | + | हनुमान चालीसा पढ़ता हुआ | |
− | बोलो | + | बोलो हनुमान की जय |
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− | + | घड़ी थी अन्धेरा मगर सख़्त था | |
− | कोई | + | कोई दस सवा दस का बस वक़्त था |
− | + | लरज़ता था कोयल की भी कूक से | |
− | बुरा | + | बुरा हाल हुआ उस पे भूख से |
− | लगा | + | लगा तोड़ने एक बेरी से बेर |
− | मेरे | + | मेरे सामने आ गया एक शेर |
− | + | जो घिघ्घी बँधी नज़र फिर गई | |
− | तो | + | तो बन्दूक भी हाथ से गिर गई |
− | + | ||
− | + | मैं लपका वो झपका, मैं ऊपर वो नीचे | |
− | वो आगे | + | वो आगे मैं पीछे, मैं पेड़ पे वो पीछे |
− | + | अरे बचाओ -२ | |
− | अरे बचाओ | + | मैं डाल-डाल वो पात-पात |
− | + | मैं पसीना वो बाग़-बाग़ | |
− | + | मैं सुर में वो ताल में | |
− | + | ये जंगल पाताल में | |
− | ये | + | |
बचाओ बचाओ | बचाओ बचाओ | ||
अरे भागो रे भागो | अरे भागो रे भागो | ||
अरे भागो | अरे भागो | ||
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− | + | फिर क्या हुआ? | |
− | मुझे | + | |
− | खा गया | + | ख़ुदा की क़सम मज़ा आ गया |
− | + | मुझे मार कर बेसरम खा गया | |
− | अरे ये जीना भी कोई जीना है | + | |
− | + | खा गया? लेकिन आप तो ज़िन्दा हैं | |
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+ | अरे ये जीना भी कोई जीना है लल्लू | ||
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04:23, 20 मार्च 2010 का अवतरण
रचनाकार: आन्नद बख़्शी |
आओ बच्चो आज तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ मैं
शेर की कहानी सुनोगे
मेरे पास आओ मेरे दोस्तो एक क़िस्सा सुनो
कई साल पहले की ये बात है
भयानक अंधेरी सियाह रात में
लिये अपनी बन्दूक मैं हाथ में
घने जंगलों से गुज़रता हुआ कहीं जा रहा था
जा रहा था, नहीं आ रहा था, नहीं जा रहा था
ओफ़ ओ आगे भी तो बोलो ना
बताता हूँ बताता हूँ
नहीं भूलती उफ्फ़ वो जंगल की रात
मुझे याद है वो थी मंगल की रात
चला जा रहा था मैं डरता हुआ
हनुमान चालीसा पढ़ता हुआ
बोलो हनुमान की जय
जय बजरंग बली की जय
घड़ी थी अन्धेरा मगर सख़्त था
कोई दस सवा दस का बस वक़्त था
लरज़ता था कोयल की भी कूक से
बुरा हाल हुआ उस पे भूख से
लगा तोड़ने एक बेरी से बेर
मेरे सामने आ गया एक शेर
जो घिघ्घी बँधी नज़र फिर गई
तो बन्दूक भी हाथ से गिर गई
मैं लपका वो झपका, मैं ऊपर वो नीचे
वो आगे मैं पीछे, मैं पेड़ पे वो पीछे
अरे बचाओ -२
मैं डाल-डाल वो पात-पात
मैं पसीना वो बाग़-बाग़
मैं सुर में वो ताल में
ये जंगल पाताल में
बचाओ बचाओ
अरे भागो रे भागो
अरे भागो
फिर क्या हुआ?
ख़ुदा की क़सम मज़ा आ गया
मुझे मार कर बेसरम खा गया
खा गया? लेकिन आप तो ज़िन्दा हैं
अरे ये जीना भी कोई जीना है लल्लू