भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रहम कर ज़ालिम, कि क्या बूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता है / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= ग़ालिब |संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब }} [[Category:ग़ज…)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:32, 21 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रहम कर ज़ालिम कि क्या बूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता<ref>बुझे हुए दीपक की योग्यता</ref> है
नब्ज़-ए-बीमार-ए-वफ़ा, दूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता<ref>बुझे हुए दीपक का धुँआ</ref> है

दिल-लगी की आरज़ू बे-चैन रखती है हमें
वरना यां बे-रौनक़ी सूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता<ref>बुझे हुए दीपक की बाती</ref> है

इसी गज़ल की कुछ अनछपी कड़ीयां

नशा-ए-मै बे-चमन दूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता है
जाम दाग़-ए शोला-अनदूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता है

दाग़-ए-रब्त-ए हम हैं अहल-ए-बाग़ गर गुल हो शहीद
लाला चश्म-ए-हसरत-आलूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता है

शोर है किस बज़म की अ़रज़-ए-जराहत-ख़ाना का
सुबह यक-बज़्म-ए-नमक सूद-ए-चिराग़-ए-कुश्ता है

शब्दार्थ
<references/>