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"आखिरी ख्वाहिश / हरभजन सिंह" के अवतरणों में अंतर
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− | आखिरी | + | आखिरी ख्वाहिश बस इतनी है |
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जिससे तुम बरसों से रूठे हुए हो। | जिससे तुम बरसों से रूठे हुए हो। | ||
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फटाक से न खुले | फटाक से न खुले | ||
तो वापस न चले आना, | तो वापस न चले आना, | ||
दरवाजा खुलने का इंतजार करना। | दरवाजा खुलने का इंतजार करना। | ||
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− | वह यदि | + | |
दरवाजे पर खड़ा हो जाए | दरवाजे पर खड़ा हो जाए | ||
बुत की तरह | बुत की तरह | ||
तो भी वापस न आना, | तो भी वापस न आना, | ||
बोलने की कोशिश करना। | बोलने की कोशिश करना। | ||
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अगर मेरी बात न कही जा सके तुमसे | अगर मेरी बात न कही जा सके तुमसे | ||
तो सिर्फ मेरा नाम लेकर | तो सिर्फ मेरा नाम लेकर | ||
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आंसू बह जाएं तो बहने देना, | आंसू बह जाएं तो बहने देना, | ||
बाकी वह खुद समझ जाएगा। | बाकी वह खुद समझ जाएगा। | ||
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केवल मैं ही कर सकता हूं। | केवल मैं ही कर सकता हूं। | ||
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00:20, 23 मार्च 2010 के समय का अवतरण
आखिरी ख्वाहिश बस इतनी है
मेरे मरने की खबर
तुम खुद उस दोस्त तक पहुंचाना
जिससे तुम बरसों से रूठे हुए हो।
तुम्हारी दस्तक सुनकर दरवाजा
फटाक से न खुले
तो वापस न चले आना,
दरवाजा खुलने का इंतजार करना।
वह यदि तुम्हें देखकर
दरवाजे पर खड़ा हो जाए
बुत की तरह
तो भी वापस न आना,
बोलने की कोशिश करना।
अगर मेरी बात न कही जा सके तुमसे
तो सिर्फ मेरा नाम लेकर
उसके गले लग जाना,
आंसू बह जाएं तो बहने देना,
बाकी वह खुद समझ जाएगा।
उसको मालूम है,
इस तरह की ख्वाहिश
केवल मैं ही कर सकता हूं।