भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
छो
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=ग़ालिब
 
|रचनाकार=ग़ालिब
 +
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
 
}}
 
}}
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
पंक्ति 18: पंक्ति 19:
  
 
बस कि हूँ "ग़ालिब" असीरी<ref>कैद</ref> में भी आतिश-ज़ेर-पा<ref>पांव के नाचे की आग</ref>
 
बस कि हूँ "ग़ालिब" असीरी<ref>कैद</ref> में भी आतिश-ज़ेर-पा<ref>पांव के नाचे की आग</ref>
मूए-आतिश-दीद़ा<ref>जला हुआ बाल</ref> है हल्क़ा<ref>कड़ी</ref> मेरी ज़ंजीर का</poem>
+
मूए-आतिश-दीद़ा<ref>जला हुआ बाल</ref> है हल्क़ा<ref>कड़ी</ref> मेरी ज़ंजीर का
 +
</poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

02:06, 23 मार्च 2010 के समय का अवतरण

नक़्श<ref>चित्र</ref> फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर<ref>शरारत भरी लिखावट</ref> का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर<ref>व्यक्ति (यहाँ इसका मतलब)</ref>-ए-तस्वीर का

काव-काव<ref>खोदना</ref>-ए सख़्तजानी<ref>कठिन ज़िंदगी</ref> हाय तनहाई न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर<ref>दूध की नदी</ref> का

जज़्बा<ref>तीव्र उमंग</ref>-ए-बेअख़्तियारे-शौक़ देखा चाहिए
सीना-ए-शमशीर<ref>तलवार की मयान</ref> से बाहर है दम<ref>सिरा</ref> शमशीर का

आगही<ref>समझ</ref> दामे-शुनीदन<ref>प्रसिद्दी का जाल</ref> जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्दआ़ अ़न्क़ा<ref>दुर्लभ</ref> है अपने आ़लमे-तक़रीर<ref>बातचीत की दुनिया</ref> का

बस कि हूँ "ग़ालिब" असीरी<ref>कैद</ref> में भी आतिश-ज़ेर-पा<ref>पांव के नाचे की आग</ref>
मूए-आतिश-दीद़ा<ref>जला हुआ बाल</ref> है हल्क़ा<ref>कड़ी</ref> मेरी ज़ंजीर का

शब्दार्थ
<references/>