भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सूप का शायक़ हूँ यख़नी होगी क्या / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
<poem> | <poem> | ||
− | सूप का शायक़ हूँ यख़नी होगी क्या | + | सूप का शायक़<ref>शौक़ीन</ref> हूँ, यख़नी<ref>एक किस्म का शोरबा जो पुलाव पर डाला जाता है</ref> होगी क्या |
− | चाहिए कटलेट यह कीमा क्या करूँ | + | चाहिए कटलेट, यह कीमा क्या करूँ |
− | लैथरिज की चाहिए रीडर मुझे | + | लैथरिज<ref>एक लेखक</ref> की चाहिए, रीडर मुझे |
− | शेख़ सादी की करीमा क्या करूँ | + | शेख़ सादी की करीमा,<ref>शेख़ सादी की एक क़िताब जिसमें ईश्वर का गुणगान किया गया है</ref> क्या करूँ |
− | खींचते हैं हर तरफ़ तानें हरीफ़ | + | खींचते हैं हर तरफ़, तानें हरीफ़<ref>दुश्मन या विरोधी</ref> |
− | फिर मैं अपने सुर को धीमा क्यों करूँ | + | फिर मैं अपने सुर को, धीमा क्यों करूँ |
− | डाक्टर से दोस्ती लड़ने से बैर | + | डाक्टर से दोस्ती, लड़ने से बैर |
− | फिर मैं अपनी जान बीमा क्या करूँ | + | फिर मैं अपनी जान, बीमा क्या करूँ |
− | चांद में आया नज़र ग़ारे-मोहीब | + | चांद में आया नज़र, ग़ारे-मोहीब<ref>गहरी गुफ़ा</ref> |
− | हाये अब | + | हाये अब ऐ, माहे-सीमा<ref>चन्द्रमुखी</ref> क्या करूँ |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> | ||
+ | {{KKMeaning}} |
06:15, 26 मार्च 2010 के समय का अवतरण
सूप का शायक़<ref>शौक़ीन</ref> हूँ, यख़नी<ref>एक किस्म का शोरबा जो पुलाव पर डाला जाता है</ref> होगी क्या
चाहिए कटलेट, यह कीमा क्या करूँ
लैथरिज<ref>एक लेखक</ref> की चाहिए, रीडर मुझे
शेख़ सादी की करीमा,<ref>शेख़ सादी की एक क़िताब जिसमें ईश्वर का गुणगान किया गया है</ref> क्या करूँ
खींचते हैं हर तरफ़, तानें हरीफ़<ref>दुश्मन या विरोधी</ref>
फिर मैं अपने सुर को, धीमा क्यों करूँ
डाक्टर से दोस्ती, लड़ने से बैर
फिर मैं अपनी जान, बीमा क्या करूँ
चांद में आया नज़र, ग़ारे-मोहीब<ref>गहरी गुफ़ा</ref>
हाये अब ऐ, माहे-सीमा<ref>चन्द्रमुखी</ref> क्या करूँ
शब्दार्थ
<references/>