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"शेख़ जी अपनी सी बकते ही रहे / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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सरकशों ने ताअते-हक़ छोड़ दी
 
सरकशों ने ताअते-हक़ छोड़ दी
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जो गुबारे थे वह आख़िर गिर गए
 
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06:41, 26 मार्च 2010 के समय का अवतरण

शेख़ जी अपनी सी बकते ही रहे
वह थियेटर में थिरकते ही रहे

दफ़ बजाया ही किए मज़्मूंनिगार
वह कमेटी में मटकते ही रहे

सरकशों ने ताअते-हक़ छोड़ दी
अहले-सजदा सर पटकते ही रहे

जो गुबारे थे वह आख़िर गिर गए
जो सितारे थे चमकते ही रहे