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"आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>आह कॊ चाहियॆ एक उम्र असर हॊनॆ तक कॊन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर हॊ…)
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17:08, 26 मार्च 2010 का अवतरण

आह कॊ चाहियॆ एक उम्र असर हॊनॆ तक
कॊन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर हॊनॆ तक!

आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बॆताब‌
दिल का क्या रंग करूं खून‍ ऎ जिगर हॊनॆ तक!

हमनॆ माना कि तगाफुल ना करॊगॆ लॆकिन‌
खाक हॊ जायॆंगॆ हम तुमकॊ खबर हॊनॆ तक!