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"मैं और बज़्मे-मै से / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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− | मैं और बज़्मे-मै<ref>शराब की महफ़िल</ref> से यूं तश्नाकाम<ref>प्यासा</ref> आऊं! | + | मैं और बज़्मे-मै,<ref>शराब की महफ़िल</ref> से यूं तश्नाकाम<ref>प्यासा</ref> आऊं! |
− | गर मैंने की थी तौबा साक़ी को क्या हुआ था? | + | गर मैंने की थी तौबा, साक़ी को क्या हुआ था? |
− | है एक तीर जिसमें दोनों छिदे पड़ें हैं | + | है एक तीर, जिसमें दोनों छिदे पड़ें हैं |
− | वो दिन गए कि | + | वो दिन गए, कि अपना दिल से जिगर जुदा था |
− | दरमान्दगी<ref>दुख</ref> में 'ग़ालिब' कुछ बन पड़े तो जानूं | + | दरमान्दगी<ref>दुख</ref> में 'ग़ालिब', कुछ बन पड़े तो जानूं |
− | जब रिश्ता बेगिरह था नाख़ून गिरह-कुशा<ref>गांठ खोलनेवाला</ref> था | + | जब रिश्ता बेगिरह<ref>बिना गांठ के</ref> था, नाख़ून गिरह-कुशा<ref>गांठ खोलनेवाला</ref> था |
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07:20, 27 मार्च 2010 के समय का अवतरण
मैं और बज़्मे-मै,<ref>शराब की महफ़िल</ref> से यूं तश्नाकाम<ref>प्यासा</ref> आऊं!
गर मैंने की थी तौबा, साक़ी को क्या हुआ था?
है एक तीर, जिसमें दोनों छिदे पड़ें हैं
वो दिन गए, कि अपना दिल से जिगर जुदा था
दरमान्दगी<ref>दुख</ref> में 'ग़ालिब', कुछ बन पड़े तो जानूं
जब रिश्ता बेगिरह<ref>बिना गांठ के</ref> था, नाख़ून गिरह-कुशा<ref>गांठ खोलनेवाला</ref> था
शब्दार्थ
<references/>