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"अभी और तेज़ कर ले सर-ए-ख़न्जर-ए-अदा को / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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जो दुआयें दे रही है तेरी चश्म-ए-बेवफ़ा को
 
जो दुआयें दे रही है तेरी चश्म-ए-बेवफ़ा को
  
कहीं रह गई है शायद ते
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कहीं रह गई है शायद तेरे दिल की धड़कनों में
रे दिल की धड़कनों में
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कभी सुन सके तो सुन ले मेरी ख़ूँशिदा नवा को
 
कभी सुन सके तो सुन ले मेरी ख़ूँशिदा नवा को
  

06:51, 28 मार्च 2010 के समय का अवतरण

अभी और तेज़ कर ले सर-ए-ख़न्जर-ए-अदा को
मेरे ख़ूँ की है ज़रूरत तेरी शोख़ी-ए-हिना को

तुझे किस नज़र से देखे ये निगाह-ए-दर्दआगीं
जो दुआयें दे रही है तेरी चश्म-ए-बेवफ़ा को

कहीं रह गई है शायद तेरे दिल की धड़कनों में
कभी सुन सके तो सुन ले मेरी ख़ूँशिदा नवा को

कोई बोलता नहीं है मैं पुकारता रहा हूँ
कभी बुतकदे में बुत को कभी काबे में ख़ुदा को