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"अपने ज़िम्मे है तेरा क़र्ज़ ना जाने कब से / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

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तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी कि जो है
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आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
आसमाँ हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
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और अब शीशा-ए-मय, राह-गुज़र, रंग-ए-फ़लक
 
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रंग है दिल का मेरे "ख़ून-ए-जिगर होने तक"
 
रंग है दिल का मेरे "ख़ून-ए-जिगर होने तक"
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ज़हर का रंग, लहू-रंग, शब-ए-तार का रंग  
 
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कोई भीगा हुआ दामन, कोई दुखती हुई रग
 
कोई भीगा हुआ दामन, कोई दुखती हुई रग
 
कोई हर लहज़ा बदलता हुआ आईना है
 
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फिर से एक बार हर एक चीज़ वही हो जो है
 
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आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
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18:33, 28 मार्च 2010 के समय का अवतरण

तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी कि जो है
आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
और अब शीशा-ए-मय, राह-गुज़र, रंग-ए-फ़लक
रंग है दिल का मेरे "ख़ून-ए-जिगर होने तक"
चम्पई रंग कभी, राहत-ए-दीदार का रंग
सुरमई रंग के है सा'अत-ए-बेज़ार का रंग
ज़र्द पत्तों का, ख़स-ओ-ख़ार का रंग
सुर्ख़ फूलों का, दहकते हुए गुलज़ार का रंग
ज़हर का रंग, लहू-रंग, शब-ए-तार का रंग

आसमां, राह-गुज़र, शीशा-ए-मय
कोई भीगा हुआ दामन, कोई दुखती हुई रग
कोई हर लहज़ा बदलता हुआ आईना है
अब जो आये हो तो ठहरो के कोई रंग, कोई रुत, कोई शय
एक जगह पर ठहरे

फिर से एक बार हर एक चीज़ वही हो जो है
आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय