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दिन के उजाले में डांस पार्टी वाली लड़की
जो गई थी मुंबई हीरोइन बनने
बन गई कस्बाई मेलों में फ़िल्मी गानों पर
डांस करने वाली लड़की
जो सर्कस के जोकर की तरह
चेहरे पर बहुत सारा मेकअप लगाकर
हर उदासी को
छुपाने में माहिर है
रंगीन लाइटों की लुकाछिपी में
शोहदों की सीटियों के कोरस में
फ़िल्मी गानों की धुनों पर
लट्टू की तरह नाचते हुए
अदाओं से दर्शकों को उन्मत्त करती है
जिसके इशारों की आंच से
शो का तम्बू पिघल जाता है
वही लड़की दिन के उजाले में
साधारण उदास लड़की बन जाती है
उसके चेहरे पर
इंसानियत के चेहरे पर उभरी
खरोचों की तरह
असमय झुर्रियां उभर आई हैं
उसकी मां
किसी छोटे गाँव में अपनी छोटी बेटियों
की परवरिश और खुद की दावा के लिए
उसके भेजे मनीआर्डर की राह देखती रहती है
दिन के उजाले में
डांस पार्टी वाली लड़की
बदल जाती है
बेजान पत्थर में
और रात होने का इंतज़ार करती है
जिंदा होने के लिए