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"युवा होती बेटी, बूढ़ा होता पिता / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

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युवा होती बेटी में उद्भूत हो रही है स्त्री  
 
बुढ़ाते पिता में पुरुष अब थकने लगा है  
 
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दोनों के रिश्ते नहीं हैं अब पहले से सहज  
 
दोनों के रिश्ते नहीं हैं अब पहले से सहज  
  
 
बेटी अब पहले की तरह लगाती नहीं अबूझ प्रश्नों की झड़ी  
 
बेटी अब पहले की तरह लगाती नहीं अबूझ प्रश्नों की झड़ी  
ऊँगली पकड़कर चलने की जिद नहीं करती  
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उँगली पकड़कर चलने की जिद नहीं करती  
 
पिता को बेटी कुछ अजनबी लगने लगी है  
 
पिता को बेटी कुछ अजनबी लगने लगी है  
 
बहुत कुछ छुपाना सीख गई है वह पिता से अब  
 
बहुत कुछ छुपाना सीख गई है वह पिता से अब  

11:04, 29 मार्च 2010 का अवतरण

युवा होती बेटी में उद्भूत हो रही है स्त्री
बुढ़ाते पिता में पुरुष अब थकने लगा है
दोनों के रिश्ते नहीं हैं अब पहले से सहज

बेटी अब पहले की तरह लगाती नहीं अबूझ प्रश्नों की झड़ी
उँगली पकड़कर चलने की जिद नहीं करती
पिता को बेटी कुछ अजनबी लगने लगी है
बहुत कुछ छुपाना सीख गई है वह पिता से अब

दोनों नहीं करते
अब रिमोट के साथ पहले की सी मटरगश्ती
टेलीविजन पर अन्तरंग दृश्यों से
असहज हो उठता है पिता
उपक्रम करता है
किसी बहाने से चैनल बदलने का

युवा होती बेटी के लिए
दुनिया की रंगीन किताब के पृष्ठ धीरे-धीरे खुल रहे हैं
उसके पास केवल अभी चटक रंग है
पिता रंगीन किताब के भीतर की
काली लिखावट भी पहचानता है

जानता है वह
एक दिन अचानक कोई अजनबी
हो सकता है बेटी के लिए
पिता से भी बढ़कर महत्वपूर्ण
वह खुद के विस्थापन की संभावना के यथार्थ
से समझौते की प्रक्रिया में है

युवा होती बेटी अक्सर नींद में मुस्कुराती है
बूढ़े होते पिता को दुस्वप्न ज्यादा आते हैं