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"हमारे दिल की मत पूछो बड़ी मुश्किल में रहता है / सतपाल 'ख़याल'" के अवतरणों में अंतर

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हमारे दिल की मत पूछो बड़ी मुश्किल में रहता है
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ग़ज़ल
हमारी जान का दुश्मन हमारे दिल में रहता है
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सुकूँ मिलता है हमको बस तुम्हारे शहर में आकर
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हमारे दिल की मत पूछो, बड़ी मुशकिल में रहता है
यहीं वो नूर-सा चेहरा कहीं महमिल में रहता है
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हमारी जान का का दुशमन हमारे दिल में रहता है
  
कोई शायर बताता है कोई कहता है पागल भी
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कोई शाइर बताता है, कोई कहता है दीवाना
मेरा चर्चा हमेशा आपकी महफ़िल में रहता है.
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मेरा चर्चा हमेशा आपकी महफिल में रहता है
  
वो मालिक है सब उसका है वो हर ज़र्रे में है ग़ाफ़िल !
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कभी मंदिर, कभी मस्जिद, कभी सहरा, कभी परबत
वही दाता में मिलता है वही साइल में रहता है.
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उसी को खोजते हैं सब जो सबके दिल में रहता है
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वो मालिक है सब उसका है ,वो हर ज़र्रे मे है शामिल
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वो दाता को भी देता है वो खुद साइल में रहता है
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"ख़याल" उससे शिकायत कर जो हल कर दे तेरी मुशकिल
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करेगा हल वो क्या मुशकिल जो खुद मुशकिल में रहता है
  
वो चुटकी में ही करता है तुम्हारी मुश्किलें आसाँ
 
ख़ुदा को चाहने वाला कभी मुश्किल में रहता है !
 
 
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12:29, 30 मार्च 2010 का अवतरण

 
ग़ज़ल

हमारे दिल की मत पूछो, बड़ी मुशकिल में रहता है
हमारी जान का का दुशमन हमारे दिल में रहता है

कोई शाइर बताता है, कोई कहता है दीवाना
मेरा चर्चा हमेशा आपकी महफिल में रहता है

कभी मंदिर, कभी मस्जिद, कभी सहरा, कभी परबत
उसी को खोजते हैं सब जो सबके दिल में रहता है

वो मालिक है सब उसका है ,वो हर ज़र्रे मे है शामिल
वो दाता को भी देता है वो खुद साइल में रहता है

"ख़याल" उससे शिकायत कर जो हल कर दे तेरी मुशकिल
करेगा हल वो क्या मुशकिल जो खुद मुशकिल में रहता है