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"आज मैंने अपना फिर सौदा किया / जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर

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जिन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
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18:59, 30 मार्च 2010 के समय का अवतरण

आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

ज़िन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते कि तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
खैर तुमने जो किया अच्‍छा किया