{{KKRachna
|रचनाकार= जावेद अख़्तर
|संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
शहर के दुकाँदारो , कारोबार-ए-उलफ़त में
सूद क्या ज़ियाँ<ref>नुकसान</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे
दिल के दाम कितने हैं , ख़्वाब कितने मँहगे हैंऔर नकदनक़द-ए-जाँ क्या है , तुम न जान पाओगे
कोई कैसे मिलता है, फूल कैसे खिलता है
आँख कैसे झुकती है, साँस कैसे रुकती है
कैसे रह निकलती है, कैसे बात चलती है
शौक शौक़ की ज़बाँ क्या है तुम न जान पाओगे
वस्ल का सुकूँ क्या हैंहै, हिज्र का जुनूँ क्या हैहुस्न का फुसूँफ़ुसूँ<ref>जादू</ref> क्या है, इश्क इश्क़ के दुरूँ<ref>अंदर</ref> क्या हैतुम मरीजमरीज़-ए-दानाई<ref>जिसे सोचने समझने का रोग हो</ref>, मस्लहत के शैदाई<ref>कूटनीति पसंद करने वाला</ref>राह ए गुमरहाँ क्या है , तुम ना न जान पाओगे
ज़ख़्म कैसे फलते हैं, दाग दाग़ कैसे जलते हैं
दर्द कैसे होता है, कोई कैसे रोता है
अश्क़ अश्क क्या है नाले<ref>दर्दभरी आवाज़रुदन</ref> क्या, दश्त क्या है छाले क्याआह क्या फुगाँफ़ुग़ां<ref>फरियादफ़रियाद</ref> क्या है, तुम ना न जान पाओगे
नामुराद दिल कैसे , सुबह-ओ-शाम करते हैंकैसे जिंदा रहते हैं , और कैसे मरते हैंतुमको कब नज़र आई ग़मज़र्दों, ग़मज़दों<ref>दुखियारों</ref> की तनहाईज़ीस्त बे-अमाँ<ref>असुरक्षित जीवन</ref> क्या है , तुम ना न जान पाओगे
जानता हूँ कि तुम को जौक-एमैं तुमको, ज़ौक़े-शायरीशाईरी<ref>शायरी का शौक</ref> भी हैशख्सियत शख़्सियत<ref>व्यक्तित्व</ref> सजाने में , इक ये माहिरी <ref>सिद्धहस्तता</ref> भी हैफिर भी हर्फ हर्फ़ चुनते हो, सिर्फ लफ़्ज लफ़्ज़ सुनते होइनके दरमियाँ दरम्याँ क्या हैं, तुम ना न जान पाओगे
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