"समयातीत पूर्ण-9/ कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर
Satish gupta (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: == समयातीत पूर्ण - ९ <poem>है क्रांति दृष्टा तुमने आमूल बदल दिया जीवन …) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | = | + | {{KKRachna |
− | <poem> | + | |रचनाकार=कुमार सुरेश |
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | हे क्रांति दृष्टा | ||
तुमने आमूल बदल दिया | तुमने आमूल बदल दिया | ||
− | जीवन पद्धति को | + | जीवन-पद्धति को |
− | कहा इन्द्र पूजा व्यर्थ है | + | कहा इन्द्र-पूजा व्यर्थ है |
बंद करा के इन्द्र पूजा | बंद करा के इन्द्र पूजा | ||
− | + | अपनी रक्षा आप करना सिखाया | |
− | + | अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध | |
− | अन्याय और अत्याचार के | + | |
तुम्हारा संघर्ष अनवरत जारी रहा | तुम्हारा संघर्ष अनवरत जारी रहा | ||
हर उस शक्ति से संघर्ष किया | हर उस शक्ति से संघर्ष किया | ||
− | जो | + | जो जनविरोधी एवम निरंकुश थी |
चाहे वह मामा कंस हो या क्रूर जरासंध | चाहे वह मामा कंस हो या क्रूर जरासंध | ||
− | तुमने बताया ख़ून के | + | तुमने बताया ख़ून के रिश्तों से बढ़कर |
लोकमंगल है | लोकमंगल है | ||
− | + | नीति वही श्रेष्ट है जो समाज के बृहद हित में हो | |
प्रेम का मूल्य सबसे बढ़कर है | प्रेम का मूल्य सबसे बढ़कर है | ||
− | + | स्त्रियों का सम्मान और स्वतंत्रता | |
− | प्रथम | + | प्रथम धारणीय है |
निर्भय वही है जो निर्लिप्त है | निर्भय वही है जो निर्लिप्त है | ||
− | व्यक्तिगत | + | व्यक्तिगत महत्वकाँक्षाएँ |
− | सत्य वह नहीं है जो हमने सुन कर | + | सर्वप्रथम त्याज्य हैं |
− | सत्य वही है जिसका हम | + | |
− | + | सत्य वह नहीं है जो हमने सुन कर माना हो | |
− | हम | + | सत्य वही है जिसका हम आविष्कार करते हैं |
+ | हे परम क्रान्तिकारी | ||
+ | हम अल्पज्ञ आज भी वहीँ खड़े हैं | ||
जहाँ तुम्हारे समय थे | जहाँ तुम्हारे समय थे | ||
− | तुम अपने समय से कितना पहले | + | तुम अपने समय से कितना पहले |
− | + | आए थे ? | |
− | + | हे अग्रगामी | |
− | </poem> | + | </poem> |
20:53, 7 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
हे क्रांति दृष्टा
तुमने आमूल बदल दिया
जीवन-पद्धति को
कहा इन्द्र-पूजा व्यर्थ है
बंद करा के इन्द्र पूजा
अपनी रक्षा आप करना सिखाया
अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध
तुम्हारा संघर्ष अनवरत जारी रहा
हर उस शक्ति से संघर्ष किया
जो जनविरोधी एवम निरंकुश थी
चाहे वह मामा कंस हो या क्रूर जरासंध
तुमने बताया ख़ून के रिश्तों से बढ़कर
लोकमंगल है
नीति वही श्रेष्ट है जो समाज के बृहद हित में हो
प्रेम का मूल्य सबसे बढ़कर है
स्त्रियों का सम्मान और स्वतंत्रता
प्रथम धारणीय है
निर्भय वही है जो निर्लिप्त है
व्यक्तिगत महत्वकाँक्षाएँ
सर्वप्रथम त्याज्य हैं
सत्य वह नहीं है जो हमने सुन कर माना हो
सत्य वही है जिसका हम आविष्कार करते हैं
हे परम क्रान्तिकारी
हम अल्पज्ञ आज भी वहीँ खड़े हैं
जहाँ तुम्हारे समय थे
तुम अपने समय से कितना पहले
आए थे ?
हे अग्रगामी