भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक पक्षी / सुतिन्दर सिंह नूर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुतिन्दर सिंह नूर |संग्रह= }} <Poem> मैं जब तेरे अंगो...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | [[Category:पंजाबी]] | |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | + | तेरे आने के बाद | |
− | तेरे | + | एक पक्षी |
− | + | मेरे अन्दर घोंसला बनाता है | |
− | + | गहराइयों में खो जाता है। | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | तेरे जाने के बाद | ||
+ | एक पक्षी | ||
+ | खुले आकाश में उड़ता है | ||
+ | उकाब की भांति | ||
+ | अंतरिक्षों को चीरता है | ||
+ | और खो जाता है। | ||
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : सुभाष नीरव | '''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : सुभाष नीरव | ||
</poem> | </poem> |
20:44, 12 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
तेरे आने के बाद
एक पक्षी
मेरे अन्दर घोंसला बनाता है
गहराइयों में खो जाता है।
तेरे जाने के बाद
एक पक्षी
खुले आकाश में उड़ता है
उकाब की भांति
अंतरिक्षों को चीरता है
और खो जाता है।
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : सुभाष नीरव