भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=ग़ालिब
 
|रचनाकार=ग़ालिब
 +
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
 
}}
 
}}
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>फिर मुझे दीदा-ए-तर<ref>भीगी हुई आँख</ref> याद आया  
+
<poem>
दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद<ref>सोग का प्यासा</ref> आया  
+
फिर मुझे दीदा-ए-तर<ref>भीगी हुई आँख</ref> याद आया  
 +
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद<ref>सोग का प्यासा</ref> आया  
  
दम लिया था न क़यामत ने हनोज़<ref>अभी</ref>  
+
दम लिया था न क़यामत ने हनूज़<ref>अभी</ref>  
 
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया  
 
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया  
  
सादगी - हाए - तमन्ना, यानी  
+
सादगी-हाए-तमन्ना, यानी  
 
फिर वो नैरंगे-नज़र<ref>दृष्टि का सौन्दर्य</ref> याद आया  
 
फिर वो नैरंगे-नज़र<ref>दृष्टि का सौन्दर्य</ref> याद आया  
  
उज़्रे-वामान्दगी<ref>थकन का बहाना</ref> ऐ हसरते-दिल  
+
उज़्रे-वा-मांदगी<ref>थकन का बहाना</ref> ऐ हसरते-दिल  
नाला करता था जिगर याद आया  
+
नाला<ref>रुदन</ref> करता था जिगर याद आया  
  
 
ज़िन्दगी यों भी गुज़र ही जाती  
 
ज़िन्दगी यों भी गुज़र ही जाती  
पंक्ति 32: पंक्ति 34:
  
 
मैंने मजनूं पे लड़कपन में 'असद'  
 
मैंने मजनूं पे लड़कपन में 'असद'  
संग<ref>पत्थर</ref> उठाया था कि सर याद आया </poem>
+
संग<ref>पत्थर</ref> उठाया था कि सर याद आया
 +
</poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

18:23, 13 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

फिर मुझे दीदा-ए-तर<ref>भीगी हुई आँख</ref> याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद<ref>सोग का प्यासा</ref> आया

दम लिया था न क़यामत ने हनूज़<ref>अभी</ref>
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया

सादगी-हाए-तमन्ना, यानी
फिर वो नैरंगे-नज़र<ref>दृष्टि का सौन्दर्य</ref> याद आया

उज़्रे-वा-मांदगी<ref>थकन का बहाना</ref> ऐ हसरते-दिल
नाला<ref>रुदन</ref> करता था जिगर याद आया

ज़िन्दगी यों भी गुज़र ही जाती
क्यों तेरा राहगुज़र याद आया

क्या ही रिज़्वां<ref>स्वर्ग का दरबान</ref> से लड़ाई होगी
घर तेरा ख़ुल्द<ref>स्वर्ग</ref> में गर याद आया

आह वो जुर्रत-ए-फ़रियाद कहाँ
दिल से तंग आ के जिगर याद आया

फिर तेरे कूचे को जाता है ख़याल
दिल-ए-गुमगश्ता<ref>खोया हुआ दिल</ref> मगर याद आया

कोई वीरानी-सी वीरानी है
दश्त<ref>जंगल</ref> को देख के घर याद आया

मैंने मजनूं पे लड़कपन में 'असद'
संग<ref>पत्थर</ref> उठाया था कि सर याद आया

शब्दार्थ
<references/>