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"वक़्त पर काम आएँ बहुत / विनोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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21:41, 15 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
वक़्त पर काम आएँ बहुत
रोग हैं तो दवाएँ बहुत
काम बस का अकेले नहीं
बोझ मिलकर उठाएँ बहुत
रात भर दीप जलता रहा
थी मुख़ालिफ़ हवाएँ बहुत
वह बग़ावत पे आ जाएगा
आप यूँ न सताएँ बहुत
हौसलों का सबब सिर्फ़ यह
एक मैं आपदाएँ बहुत
आयु भर शांति-सुख के किए
माँ-पिता की दुआएँ बहुत
प्यार तुझसे किया ज़िन्दगी
तूने दी हैं सज़ाएँ बहुत