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12:26, 17 अप्रैल 2010 का अवतरण
== सबसे बड़ी खबर
==
कितनी ही बातें
जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं
हो जातीं हैं नियंत्रित ढंग से
जैसे सूरज बिना आवाज अँधेरा चीर कर
समय पर निकल आता है
साबुत निकल आती है चेतना
अँधेरी खोह से
तय समय पर बरस जाता है ओस
नहाकर खाना बनाती हैं पत्तियां
जग जातें हैं पख्छी
गिलहरियाँ कम से लग जातीं हैं
चहचहाने और चिहुकने की आवाजें
सबको बतातीं हैं
दुनिया अभी रहने लायक है
दूध वाला समय पर आ जाता है
चाय मिल जाती है अपने वक्त
बदस्तूर आ जाता है अखवार
दफ्तर और ट्रेफिक की सारी मसक्कतों के बीच
कुछ न कुछ ऐसा हो ही जाता है
नयी करवट लेती है उम्मीद
वापस लोटना घर
उस प्यारी के पास
जो मेरा इन्तजार करती है
हमेशा बड़ा सुकून है
छलछलाता है बेटी का संतोष
पडोसी की एक साल की नातिन लगाती है
ताता दादा की अटपटी जोर की पुकार
तन्द्रा से जाग उठता है घर
रात अँधेरी घटी में अकेले उतारते वक्त
रहता है बिशवास
कल फिर सुबह होगी
फिर होगा एक खुशनुमा दिन
और वह सबसे बड़ी खबर ख़ुशी
लोटेगी बार बार छोटी छोटी बातों में