भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देश के सपने फूलें फलें / श्रीकृष्ण सरल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकृष्ण सरल }} <poem> देश के सपने फूलें फलें प्यार ...)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=श्रीकृष्ण सरल
 
|रचनाकार=श्रीकृष्ण सरल
 
}}
 
}}
 +
[[Category:गीत]]
 
<poem>
 
<poem>
 
देश के सपने फूलें फलें
 
देश के सपने फूलें फलें

08:37, 19 अप्रैल 2010 का अवतरण

देश के सपने फूलें फलें
प्यार के घर घर दीप जले
देश के सपने फूलें फलें

देश को हमें सजाना है
देश का नाम बढ़ाना है
हमारे यत्न, हमारे स्वप्न,
बाँह में बाँह डाल कर चलें
देश के सपने फूलें फलें

देश की गौरव वृद्धि करें
प्रगति पथ पर समृद्धि करें
नहीं प्राणों की चिंता हो
नहीं प्रण से हम कभी टलें
देश के सपने फूलें फलें

साधना के तप में हम तपें
देश के हित चिन्तन में खपें
कर्म गंगा बहती ही रहे
निरन्तर हिम जैसे हम गलें
देश के सपने फूलें फलें

हमारी साँसों में लय हो
हमारी धरती की जय हो
साधना के प्रिय साँचे में
हमारे शुभ संकल्प ढलें
देश के सपने फूलें फले