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"कुलस्त्री / राजशेखर" के अवतरणों में अंतर

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उसके जगने से पहले
 
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पहले के लोगों ने
 
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पुत्रि कुलबधू के
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सिद्धान्तधर्म यही कहे हैं।
 
सिद्धान्तधर्म यही कहे हैं।
  

19:30, 22 अप्रैल 2010 का अवतरण

गृहपति के घर आने पर
उठकर करना स्वागत
उससे बोलचाल में नम्र बनकर रहना
उसके चरणों में रखना दृष्टि
उसके लिए बिछाना आसन
और सेवा उसकी करना स्वयं

उसके सोने पर सोना
और छोड़ना शैया
उसके जगने से पहले
पहले के लोगों ने
पुत्रि कुलवधू के
सिद्धान्तधर्म यही कहे हैं।


मूल संस्कृत से अनुवाद : राधावल्लभ त्रिपाठी