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12:11, 25 अप्रैल 2010 का अवतरण
सबने जो कहा
उससे अलग
बाकी सिर्फ धुंध था
शब्द उगा
सबने कहा
गुलाब खूबसूरत
शब्द घास तक पहुंचा
किसी ने देखी
घास की हरीतिमा
किसी ने देखा
घास पैरों तले दबी
धुंध का स्वरूप
जब जहॉं जैसा था
वैसा ही चीरा उसे शब्द ने.