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"कार्तिक-स्नान करने वाली लड़कियाँ / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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12:07, 26 अप्रैल 2010 का अवतरण

घर-घर
मॉंगती हैं फूल
सॉंझ गहराने से पहले
कार्तिक-स्‍नान करने वाली लड़कियॉं

फूल अगर केसरिया हो
खिल उठती हैं लड़कियॉं
एक केसरिया फूल से कार्तिक में
मिलता है एक मासे सोने का पुण्‍य
कहती हैं लड़कियॉं

एक-एक फूल के लिए
दौड़ती हैं झपटती हैं
लड़ती हैं लड़कियॉं
और कॉंटों के चुभने की
परवाह नहीं करतीं

लौटती हुई लड़कियॉं गिनती हैं
अपने-अपने हिस्‍से के फूल
और हिसाबती हैं
कि कल उन्‍हें मिल जायेगा
कितने मासे सोने का पुण्‍य?

कितनी भोली हैं
मेरे गॉंव की लड़कियॉं
जो अलस्‍सुबह उठती हैं
और रात के दुर्गम जंगल को पहली बार
अपनी हॅंसी के फूलों से भर देती हैं

तालाब के गुनगुने जल में
नहाती हुई लड़कियॉं हॅंसती हैं
छेड़ती हैं एक-दूसरे को
मारती हैं छींटे
और लेती हैं सबके मन की थाह

इतना-इतना सोना चढ़ाकर मुंह अंधेरे
अपने भोले बाबा से
क्‍या मॉंगती हैं?