भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अच्छे दिन / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("अच्छे दिन / एकांत श्रीवास्तव" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
उतरेंगे
 
उतरेंगे
 
हरे पेड़ों की
 
हरे पेड़ों की
सबसे ऊंची फुनगियों पर
+
सबसे ऊँची फुनगियों पर
 
और हम
 
और हम
 
बहेलिये के जाल से
 
बहेलिये के जाल से
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
 
अच्‍छे दिन दोस्‍त हैं
 
अच्‍छे दिन दोस्‍त हैं
 
मिलेंगे
 
मिलेंगे
याञा के किसी मोड़ पर
+
यात्रा के किसी मोड़ पर
 
और हम
 
और हम
 
उनसे कभी न बिछुड़ने का
 
उनसे कभी न बिछुड़ने का
वादा करेंगे.
+
वादा करेंगे।
 
</poem>
 
</poem>
--[[सदस्य:Pradeep Jilwane|Pradeep Jilwane]] 10:45, 24 अप्रैल 2010 (UTC)
 

00:22, 27 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

अच्‍छे दिन खरगोश हैं
लौटेंगे
हरी दूब पर
उछलते-कूदते
और हम
गोद में लेकर
उन्‍हें प्‍यार करेंगे
अच्‍छे दिन पक्षी हैं
उतरेंगे
हरे पेड़ों की
सबसे ऊँची फुनगियों पर
और हम
बहेलिये के जाल से
उन्‍हें सचेत करेंगे
अच्‍छे दिन दोस्‍त हैं
मिलेंगे
यात्रा के किसी मोड़ पर
और हम
उनसे कभी न बिछुड़ने का
वादा करेंगे।