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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=लाल्टू|संग्रह= एक झील थी बर्फ़ की / लाल्टू}}<poem>चालीस किलोमीटर प्रति घण्टे<br />फिसलती सड़क रूकी अचानक<br />सभी पैसेन्जर<br />बढ़ आये आए गेट तक<br /><br />ओए-उस बूढ़े ने कहा<br />तेरी...-कोई और चीखा<br />चीख़ा<br />उछल पड़े<br />चार लोग<br />उस मनहूस पर<br />जो एक औरत को पीट रहा था<br /><br />बस फिर चल पड़ी<br />इस बेजान शहर में<br />सब कुछ सुंदर लगने लगा अचानक<br />कहता रहा खुद से बार-बार<br />जान है, अभी यहॉं यहाँ जान है.<br />है।<br /poem>