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"पहाड़ लाज से झुक गये थे / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर

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और
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लाज से झुक गए थे पहाड़।
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01:40, 27 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

इस बार
पहाड़ों से उतरते
तुम्‍हें देखता रहा

तुम्‍हारी चाही सन्‍तान को
पहाड़ी बादल
मेरे रोओं में बाँटते रहे

सोचता रहा
कैसी होगी वह दुनिया
जहाँ तुम्‍हारी मेरी
सन्‍तान खिलेगी

उसे हम
पहाड़ तो जरूर देंगे
जब तुम उसे
मेरी बाँहों में देख
खुश हो जाओ
मैं धीरे से उसे कहूँगा

कैसे उसकी माँ को
मैंने पहाड़ों पर चूमा था
और
लाज से झुक गए थे पहाड़।