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सिन्दबाद : सात / अवतार एनगिल

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|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>वह कथानक कथानायक है,सम्राट नहीं
तिस पर भी, आज बादशाह सलामत ने
उसकी दाबत दावत कबूल की
उसकी नायाब बांदियों ने
हुज़ूर को ख़िदमत से खुश किया ।
सलामती के संरक्षक बनेंगे
कि नींद से जागते ही
सुरा,सुन्दरी और स्वर्ण का स्वामी सिंदबाद
सम्राट की सत्ता के हथियार की मार सहेगा ।
</poem>