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"मैं दीवाल के ऊपर / विनोद कुमार शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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मैं दीवाल के ऊपर | मैं दीवाल के ऊपर |
01:49, 28 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
मैं दीवाल के ऊपर
बैठा
थका हुआ भूखा हूँ
और पास ही एक कौआ है
जिसकी चोंच में
रोटी का टुकड़ा
उसका ही हिस्सा
छीना हुआ है
सोचता हूँ
की आए!
न मैं कौआ हूँ
न मेरी चोंच है –
आख़िर किस नाक-नक्शे का आदमी हूँ
जो अपना हिस्सा छीन नहीं पाता!!