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नंगी औरत / रघुवीर सहाय

3 bytes added, 15:17, 30 अप्रैल 2010
<poem>
नाटक शुरू होने से पहले सहसा मैंने
पहचाना एक अधेड अधेड़ औरत का दर्द
वह मुझे घूरे जाती थी
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