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"छलावा" के अवतरणों में अंतर
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14:02, 2 मई 2010 के समय का अवतरण
आप अकेले हैं और भीड जुटानी हैं दाने फेंक दो मुर्गियों की भीड आपके दरवाजे पर हाजिर होगी।
मालूम नहीं दुनिया का दस्तुर दाने फेंकना कला है या दाने चुगना कला हैं, यह मत सोचों दाने किसके हैं? चुगनेवाले कौन है? या आँगन किसका है?
इश्तहार की दुनिया में बाजार लगा है बिकनेवालों का, कितनी मुर्गियाँ कौनसे आँगन में किसके दाने चुग रही हैं? वैसे दाने और मुर्गी की उमर बहुत छोटी हैं छलावा एक कला है, छल करनेवालों की उमर बहुत लंबी होती हैं।