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"पानी बहुत बरसा / शकुन्त माथुर" के अवतरणों में अंतर
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मेरा मन डरपा | मेरा मन डरपा | ||
पानी बहुत बरसा | पानी बहुत बरसा | ||
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+ | हम तुम निहाल | ||
+ | समर्पण के गीत | ||
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+ | दोनों का आकर्षण खींच रहा | ||
+ | कोई बगिया सींच रहा | ||
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+ | अनुभव तड़पा | ||
+ | सिंधु का, सेतु का, नदिया का | ||
+ | जुड़ा है इतिहास | ||
+ | पानी पड़ी नौका रही काँप | ||
+ | जल को देखो | ||
+ | स्वयं अपने को | ||
+ | रहा साध | ||
+ | अबकी पानी बहुत बरसा। | ||
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20:14, 2 मई 2010 के समय का अवतरण
अबकी पानी बहुत बरसा
टूट गए तन बाँध
मन तो बहुत सरसा
बहती रही रस धार
दूर हुई सारी थकान
मन ने फिर से
थाम ली लगाम
पानी बहुत बरसा
ये बाढ़ से खण्डहर हुए घर
अपने पर हँसते
यह बसे-बसे घर
उजड़े से दिखते
मेरा मन डरपा
पानी बहुत बरसा
हम तुम निहाल
समर्पण के गीत
विश्वसनीय गीत
दोनों का आकर्षण खींच रहा
कोई बगिया सींच रहा
फिर भी क्यूँ
एक दुखी
अनुभव तड़पा
सिंधु का, सेतु का, नदिया का
जुड़ा है इतिहास
पानी पड़ी नौका रही काँप
जल को देखो
स्वयं अपने को
रहा साध
अबकी पानी बहुत बरसा।