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"मैं तो नागरिक / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर
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− | मरने से डरता | + | मरने से डरता हूँ एक दिन |
तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर | तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर | ||
पर मैं तो नागरिक | पर मैं तो नागरिक | ||
नींद के पाताल में चलता | नींद के पाताल में चलता | ||
− | बच-बच के घर की | + | बच-बच के घर की तरफ़ |
− | गुण्डों को नमस्कार | + | गुण्डों को नमस्कार करता। |
आता है वह अक्सर कहने को | आता है वह अक्सर कहने को | ||
− | मरने से डरता | + | मरने से डरता हूँ एक दिन |
− | तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर- | + | तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर। |
वह दोस्त मेरा | वह दोस्त मेरा | ||
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सब कुछ हो जाएगा | सब कुछ हो जाएगा | ||
आने को हैं अपने बच्चे इस दुनिया में | आने को हैं अपने बच्चे इस दुनिया में | ||
− | समतल मैदान करो | + | समतल मैदान करो खेलेंगे। |
पर मैं तो नागरिक | पर मैं तो नागरिक | ||
दोस्त को नुक्कड़ तक छोड़ता | दोस्त को नुक्कड़ तक छोड़ता | ||
लौटता | लौटता | ||
− | गुण्डों को नमस्कार | + | गुण्डों को नमस्कार करता। |
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20:52, 2 मई 2010 के समय का अवतरण
मरने से डरता हूँ एक दिन
तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर
पर मैं तो नागरिक
नींद के पाताल में चलता
बच-बच के घर की तरफ़
गुण्डों को नमस्कार करता।
आता है वह अक्सर कहने को
मरने से डरता हूँ एक दिन
तो बड़ी हिंसा हो जाती है दूर-दूर।
वह दोस्त मेरा
कहता है डर अकेले का घर है
चलो बहुत लोगों में
सब कुछ हो जाएगा
आने को हैं अपने बच्चे इस दुनिया में
समतल मैदान करो खेलेंगे।
पर मैं तो नागरिक
दोस्त को नुक्कड़ तक छोड़ता
लौटता
गुण्डों को नमस्कार करता।