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Kavita Kosh से
::राम राम,
:हे ग्राम देवता, रूढि रूढ़ि धाम!
तुम स्थिर, परिवर्तन रहित, कल्पवत् एक याम,
जीवन संघर्षण विरत, प्रगति पथ के विराम,
सामाजिक जीवन के अयोग्य, ममता प्रधान,
संघर्षण विमुख, अटल उनको विधि का विधान।
जग से अलिप्त वे, पुनर्जन्म का उन्हे उन्हें ध्यान,
मानव स्वभाव के द्रोही, श्वानों के समान।
::राम राम,
:हे ग्राम देव, लो हृदय थाम,
अब जन स्वातंत्र्य युद्ध की जग मे में धूम धाम।
उद्यत जनगण युग क्रांति के लिए बाँध लाम,
तुम रूढ़ि रीति की खा अफ़ीम, लो चिर विराम!
::राम राम,
:हे ग्राम देवता, रूढिधामरूढ़िधाम!
तुम पुरुष पुरातन, देव सनातन, पूर्ण काम,
जड़वत्, परिवर्तन शून्य, कल्प शत एक याम,