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"बचते-बचते थक गया / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर

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दिन रात लोग मारे जाते हैं
 
दिन रात लोग मारे जाते हैं
दिन रात बचता हूं
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दिन रात बचता हूँ
बचते-बचते थक गया हूं
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बचते-बचते थक गया हूँ
  
न मार सकता हूं
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न मार सकता हूँ
न किसी लिए भी मर सकता हूं
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न किसी लिए भी मर सकता हूँ
विकल्‍प नहीं हूं
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विकल्‍प नहीं हूँ
दौर का कचरा हूं
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दौर का कचरा हूँ
  
 
हत्‍या का विचार
 
हत्‍या का विचार
 
होती हुई हत्‍या देखने की लालसा में छिपा है
 
होती हुई हत्‍या देखने की लालसा में छिपा है
 
मरने का डर सुरक्षित है
 
मरने का डर सुरक्षित है
चाल ढाल में उतर गया है
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चाल-ढाल में उतर गया है
  
 
यह मेरी अहिंसा है बापू!
 
यह मेरी अहिंसा है बापू!
 
आप कहेंगे
 
आप कहेंगे
 
इससे अच्‍छा है कि मार दो
 
इससे अच्‍छा है कि मार दो
या मारे जाओ.
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या मारे जाओ।
  
किसे मार दूं
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किसे मार दूँ
मारा किस से जाऊं
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मारा किस से जाऊँ
आह! जीवन बचे रहने की कला है.
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आह! जीवन बचे रहने की कला है।
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21:26, 5 मई 2010 के समय का अवतरण

दिन रात लोग मारे जाते हैं
दिन रात बचता हूँ
बचते-बचते थक गया हूँ

न मार सकता हूँ
न किसी लिए भी मर सकता हूँ
विकल्‍प नहीं हूँ
दौर का कचरा हूँ

हत्‍या का विचार
होती हुई हत्‍या देखने की लालसा में छिपा है
मरने का डर सुरक्षित है
चाल-ढाल में उतर गया है

यह मेरी अहिंसा है बापू!
आप कहेंगे
इससे अच्‍छा है कि मार दो
या मारे जाओ।

किसे मार दूँ
मारा किस से जाऊँ
आह! जीवन बचे रहने की कला है।