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|रचनाकार=अनातोली पारपरापरपरा|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली पारपरापरपरा
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{{KKCatKavita‎}}[[Category:रूसी भाषा भाषा]]<poem>
'''एक लोकगीत को सुनकर'''
 
 
ओ झड़बेरी, ओ झड़बेरी
 
मैं तुझे कहूँ व्यथा मेरी
 
सुन मेरी बात, री झड़बेरी
 
आता जो तेरे पास अहेरी
 
वह मेरा बालम सांवरिया
 
न कर उससे, यारी गहरी
 
वह छलिया, ठग है जादूगर
 
करता फुसला कर रति-लहरी
 
न कुपित हो तू, बहना, मुझ पे
 
बहुत आकुल हूँ, कातर गहरी
</poem>
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