भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=अनातोली पारपरापरपरा|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली पारपरापरपरा
}}
{{KKCatKavita}}[[Category:रूसी भाषा भाषा]]<poem>
'''एक लोकगीत को सुनकर'''
ओ झड़बेरी, ओ झड़बेरी
मैं तुझे कहूँ व्यथा मेरी
सुन मेरी बात, री झड़बेरी
आता जो तेरे पास अहेरी
वह मेरा बालम सांवरिया
न कर उससे, यारी गहरी
वह छलिया, ठग है जादूगर
करता फुसला कर रति-लहरी
न कुपित हो तू, बहना, मुझ पे
बहुत आकुल हूँ, कातर गहरी
</poem>