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"सौत-सम्वाद / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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'''एक लोकगीत को सुनकर'''
 
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ओ झड़बेरी, ओ झड़बेरी
 
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मैं तुझे कहूँ व्यथा मेरी
 
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सुन मेरी बात, री झड़बेरी
 
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आता जो तेरे पास अहेरी
 
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वह मेरा बालम सांवरिया
 
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न कर उससे, यारी गहरी  
 
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वह छलिया, ठग है जादूगर
 
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करता फुसला कर रति-लहरी
 
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न कुपित हो तू, बहना, मुझ पे
 
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बहुत आकुल हूँ, कातर गहरी
 
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21:52, 7 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  सौत-सम्वाद

एक लोकगीत को सुनकर

ओ झड़बेरी, ओ झड़बेरी
मैं तुझे कहूँ व्यथा मेरी

सुन मेरी बात, री झड़बेरी
आता जो तेरे पास अहेरी

वह मेरा बालम सांवरिया
न कर उससे, यारी गहरी

वह छलिया, ठग है जादूगर
करता फुसला कर रति-लहरी

न कुपित हो तू, बहना, मुझ पे
बहुत आकुल हूँ, कातर गहरी