भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नाचइ नदिया बीच हिलोर / कन्नौजी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
सूधे परैं न पाँव<br />
 
सूधे परैं न पाँव<br />
 
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं<br />
 
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं<br />
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं
 
 
बयस बावरी मुँहु बिदकाबै
 
बयस बावरी मुँहु बिदकाबै
 
को गीता कौ बाँचै
 
को गीता कौ बाँचै
 
चिड़िया चाहै पंख पसार
 
चिड़िया चाहै पंख पसार
 
उड़िबो दूरि गगन के पास
 
उड़िबो दूरि गगन के पास

10:54, 8 मई 2010 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: आत्मप्रकाश शुक्ल

नाचइ नदिया बीच हिलोर
वनमां नचइ बसंती मोर
लागै सोरहों बसंत को
सिंगारु गोरिया।
सूधे परैं न पाँव
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं
बयस बावरी मुँहु बिदकाबै को गीता कौ बाँचै चिड़िया चाहै पंख पसार उड़िबो दूरि गगन के पास