भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जीवन का उल्लास / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= गुंजन / सुमित्रानंदन …) |
छो ("जीवन का उल्लास / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:57, 13 मई 2010 के समय का अवतरण
जीवन का उल्लास,--
यह सिहर, सिहर,
यह लहर, लहर,
यह फूल-फूल करता विलास!
रे फैल-फैल फेनिल हिलोल
उठती हिलोल पर लोल-लोल;
शतयुग के शत बुद्बुद् विलीन
बनते पल-पल शत-शत नवीन;
जीवन का जलनिधि डोल-डोल,
कल-कल छल-छल करता किलोल!
डूबे दिशि-पल के ओर-छोर
महिमा अपार, सुखमा अछोर!
जग-जीवन का उल्लास,--
यह सिहर, सिहर,
यह लहर, लहर,
यह फूल-फूल करता विलास!
रचनाकाल: फ़रवरी’ १९३२