भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सो गई है मनुजता की संवेदना
 
गीत के रूप में भैरवी गाइए
 
गा न पाओ अगर जागरण के लिए
 
कारवां छोड़कर अपने घर जाइए